हरियाणा सूचना आयोग के निर्देश पर निगम में गुम हुई फाइल में दर्ज FIR का मामला बंद होने से 5K करोड़ों की सरकारी भूमि में लिपापोती की सुगन्ध?
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सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:
गुरुग्राम नगर निगम और पुलिस विभाग की मिली भगत का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें सूचना आयोग के निर्देश पर दर्ज कराई गई गुम हुई फाइल की जांच पड़ताल में पुलिस ने मामले को ही अदालत में बंद करवा दिया है। जिससे करोड़ों रुपए के भूमि घोटाले का मामला भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरुग्राम शहर के राजस्व खसरा नंबर खसरा 469( हिदायतपुर छावनी पुराना नाम) में प्रोविंशियल गवर्नमेंट लैंड को नगर निगम गुरुग्राम के नाम करवाने के बारे में 2015 में एक फाइल रिपोर्ट NT /152 पटवारी, नायब तहसीलदार नगर निगम, गुरुग्राम द्वारा रिपोर्ट बनाकर जॉइंट कमिश्नर -2, को भेजी गई जिसके अंतर्गत 469 खसरा में अवैध कब्जों के साइज की जानकारी के साथ अवैध कब्जों के नोटिस बांटे गए परंतु उस फाइल को खुर्द – बुर्द कर दिया गया रिकॉर्ड पूर्ण रूप से नगर निगम गुरुग्राम से गायब है, जिसपर शहर के जागरूक लोगों ने आरटीआई दाखिल कर निगम से जवाब भी मांगा था। जिस पर जवाब ने देने पर सूचना आयोग हरियाणा ने केसों में ऑर्डर भी दे रखे हैं, जिसकी मजबूरी के कारण नगर निगम जोन 2 के असिस्टेंट इंजीनियर एनफोर्समेंट -2 संजोग शर्मा के द्वारा एक FIR NO-164 DT-26-06-2023 थाना सिटी गुरुग्राम में दर्ज भी करवाई गई थी, जिसमें भी तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर तथ्यों की पूरी जानकारी नहीं दी गई थी। यह जमीन प्रोविंशियल गवर्नमेंट लैंड जिसका एरिया (122-03-0) लगभग 3 लाख 85 हजार वर्ग गज बनता है, जिसका मौजूदा सर्किल रेट के हिसाब से आज की तारीख में कीमत करीब 5000 करोड रुपए बनती है की जानकारी फाइलों की कीमत केवल ₹20 दर्ज करवाई गई, जिसमें अधिकारियों ने कितना बड़ा षड्यंत्र गोलमोल को छुपाने की कोशिश की है। वहीं पुलिस के भी जांच अधिकारी ने इस मामले में गहनता से जांच नहीं की यह कब का मामला था, उस समय कौन-कौन अधिकारी, कर्मचारी के पास फाइलों का रिकॉर्ड था, फाइल पर क्या-क्या नोटिंग की गई आदि काफी जांच के पहलुओं पर गौर ही नहीं किया गया और ना ही जांच अधिकारी ने रिकॉर्ड पर ही नहीं लिया। जबकि सभी अधिकारी सरकारी या आउटसोर्सिंग के कर्मचारी व स्टाफ के रिकॉर्ड नगर निगम में उपलब्ध होते हैं। जिससे पुलिस के जांच अधिकारी पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। जिसके अनुसार ही पुलिस ने भी फाइल अनट्रेस की रिपोर्ट अदालत में देकर FIR की कार्रवाई को ही बंद करा दिया गया है।
पुलिस का मामला बंद होने से शहरवासियों में चर्चाएं खुब चल रही है। शहर वासियों का कहना है कि नगर निगम में इतने बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं,जिनसे जहां आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा, वहीं राजस्व को भी लाखों का चूना लग चुका है। जिसकी शिकायत गुरुग्राम प्रशासन से लेकर चण्डीगढ़ में बैठे आल्हा अधिकारियों तथा लोकायुक्त तक भी पहुंची हुई है, जिस पर नगर निगम कुत भी जवाब देने से कतरा रहा है। वहीं शहरवासियों में यह भी चर्चाएं है कि नगर निगम गुरुग्राम के नाम रिकॉर्ड अनुसार जमीन ही नहीं है, फिर भी नगर निगम गुरुग्राम में बैठे भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारी अपनी दादागिरी तानाशाही से शहर में कई अवैध तरीके से कार्य सरकारी जमीन पर कर रहे हैं। जिस पर उनका कोई अधिकार ही नहीं बनता है। हालांकि सरकार सभी एक ही है लेकिन अलग-अलग विभाग को अलग-अलग उत्तरदायित्व दिया हुआ है। लोगों का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार सदर बाजार की पैमाइश सही ढंग से कराएं तो कितने ही भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो सकते हैं। लोगों की यह मांग है कि अगर इस एफआईआर में सही तथ्यों पर जांच कराई जाए, कई अधिकारी नप सकते हैं और एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार का मामला उजागर हो सकता है।